Friday, 27 October 2017

बेरोजगारों को ठगते बेरोजगार

रविकांत सिंह 'द्रष्टा' 

देश में सरकार की आंकड़े बाजी वाली नीतियों के चलते बेरोजगार नौजवानों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। 2013 से 2016 के बीच बेरोजगारों की संख्या 37 लाख से बढ़कर 57 लाख हो गई है। केन्द्र व राज्य की सरकारों की राजनीति ने जिस प्रकार के हालात देश में बनाये हैं उससे यह बेरोजगारी के आंकड़े सुधरते हुए नहीं दिखाई दे रहे।
कुछ दिनों पूर्व कनॉट प्लेस में एक युवक से मुलाकात हुयी। उसने बताया कि वह हरियाणा का रहने वाला है और वह इस समय काफी परेशान है। पूछने पर युवक ने बताया कि वह नौकरी के लिए इंटरव्यु देने आया था, पास में ही योगेश्वर बिल्डिंग में उसे मोबाईल कॉल कर बुलाया गया था। वहां पर कई लड़के लड़कियां इंटरव्यू देने आईं थी। बिल्डिंग के गेट पर मौजूद एक लड़के ने आईडी के रुप में मेरा आधार कार्ड मांगा और एक मशीन पर फिंगर प्रिंट लेकर अन्दर ले गया। बिल्डिंग के कई कमरों में नौकरी के लिए आये लड़के-लड़कियों का एक साथ इंटरव्यू चल रहा था। कुछ देर बाद मुझे भी एक कमरे में जाने को कहा गया। कमरे में एक खूबसूरत लड़की मेरा इंटरव्यू लेने बैठी थी। उसने मेरा रेज्यूम देखने के बाद बोली कि आपको 12 से 18 हजार रुपये तक की सैलरी मिल सकती है। आपको, 750 रुपये जमानत के तौर पर अभी देने होंगे। जब मैंने पूछा कि जमानत राशि किसलिए? लड़की ने बोला कि यदि आप बीच में नौकरी छोड़ दिये तो कम्पनी को नुकसान होगा, भरपाई के लिए कम्पनी आपकी जमानत राशि जब्त कर लेगी। 
 
हरियाणा के छोरे ने आगे बताया कि उसे जब इंटरव्यू के लिए बुलाया गया तो, कॉल करने वाली लड़की ने कहा कि मैं जीयो कम्पनी की एचआर हूं, आपको अपनी आईडी, 2 फोटो लेकर लेकर 10 से 12 बजे तक पते पर पहुंचना है। मैं आपको पता एसएमएस कर रही हॅंू। उसने किसी भी प्रकार का शुल्क न देने की बात कही थी, और मैंने भी नौकरी पाने के लिए रुपये देने में असमर्थता जताई थी। इसके बावजूद उन लोगों ने मुझे झांसा देकर यहां बुलाया। अब यहां इंटरव्यू लेने वाली लड़की बोल रही है कि हमारे नियम, फोन करने वालों को नहीं पता होता है, उनका काम केवल इंटरव्यू के स्थान व समय की जानकारी देना होता है। बात करते हुए उसका हलक सूख रहा था, उसने मेरी पानी की बोतल मांगी, और अपनी प्यास बुझाई। उसने आगे बताया कि वह सुबह चार बजे घर से झोला उठाकर निकल गया था। जो कुछ उसके पास रुपये थे वह किराये में खर्च हो गया , अभी उसने नास्ता भी नहीं किया है।
यह साफ दिखाई दे रहा था कि अच्छा, खासा, तगड़ा नौजवान ठगी का शिकार हुआ है। मैंने उसे पुलिस में शिकायत करने की सलाह दे दी। उसने मेरी तरफ ऐसे देखा, जैसे मैंने उसके जले पर नमक डाल दिया हो। उसने बोला लैंग्वेज से तो आप यूपी के रहने वाले लगते हो, लगता है दिल्ली पुलिस के बारे में जानकारी नहीं है। पुलिस मामला सुलझाती नहीं, उलझाती है। मुझे उलझना नहीं है भाई। मुझे नहीं करनी है शिकायत, मुझे घर जाना है, और वह फिर चला गया।  
इस हरियाणा के छोरे की कहानी की तरह देश के लाखों बेरोजगार युवकों की कहानी है। दिल्ली व एनसीआर में ठगी का करोबार फलफूल रहा है। पुलिस कहती है कि जब तक कोई लिखित शिकायत नहीं देगा, तब तक हम ऐसे मामले में किसी से पूछताछ नहीं कर सकते हैं। पुलिस का यह रवैया, ठगी के कारोबार का आधार है। पुलिस अपना हिस्सा लेती है और बदले में ठगों को सुरक्षा देती है। 
कनॉट प्लेस, लक्ष्मी नगर, करोलबाग, राजेन्द्र नगर, जनकपुरी, गाजियाबाद, नोएडा, गुड़गांव आदि दिल्ली व एनसीआर के कोने-कोने में बेरोजगारों को नौकरी देने व लोन दिलाने का कारोबार चल रहा है। ऐसा सालों से हो रहा है, देश के लाखों नौजवान प्रतिदिन ठगे जाते हैं। बकायदा अख़बारों में वर्गीकृत विज्ञापन छपवाये जाते हैं यानि खुल्लम खुल्ला नौकरी देने के नाम पर ठगी करेंगे, क्योंकि कोई नौजवान उनकी पुलिस में शिकायत नहीं करता।
कौन और कैसे फंसते हैं नौजवान
आज के नौजवानों की कुछ कॉमन परेशानियां सामने दिखने लगी है। लड़के अपनी गर्लफ्रेंड की जरुरतों के लिए, लड़कियां अपने मेकप के लिए दोस्तों से अनबन, मॉ-बाप, भाई से चिकचिक करते रहते हैं। ऐसे नौजवानों की जरुरतें पूरी नहीं होती क्योंकि वह स्वयं कोई काम करके नहीं कमाते। मध्यम वर्ग के वो नौजवान जो दुनिया की चकाचौंध को वास्तविक जीवन मान बैठे हैं या फिर वो जो, काबिल होने के बावजूद अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। कुछ नौजवान ऐसे भी होते हैं जो अपने काम से समाज व देश-दुनिया में प्रसिद्धि पाना चाहते हैं। 
बेरोजगार नौजवानों में तीन श्रेणीयां हैं। 
पहला- जो पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए रोजगार की तलाश करता है।
दूसरा-जो स्वयं आरामदायक जीवन जी सके वह, ऐसी नौकरी ढूंढता है। 
तीसरा- जो अपनी काबिलियत से अपने परिवार, समाज, देश-दुनिया में प्रसिद्धि पा सके वह ऐसे काम की तलाश में रहता है। ऐसे नौजवान बेरोजगारों की संख्या बहुत कम है।
देश में तेजी से बदल रहे परिवेश में लड़के-लड़कियों ने स्वयं के लाभ को इतना महत्व दे दिया है कि वे अब गलत काम करने से भी नहीं झिझकते। वे दूसरों को पीड़ा पहुंचाकर स्वयं को सुखी रखने का जरिया तलाश लेते हैं। वे अपनी जरुरत पूरी न होने पर दुखी रहते हैं और अपने दुख को दूर करने के लिए रोजगार तलाशते हैं। वे कभी अख़बार में छपे विज्ञापनों को देखते हैं तो कभी इंटरनेट पर मौजूद नौकरी देने वाले वेबसाईटों को टटोलते हैं। इन माध्यमों से कभी-कभी फर्जी फर्मों के झांसे में आ जाते हैं। जब इन फर्मों में बेरोजगार नौजवान उसी हरियाणे के छोरे की तरह पहुंचता है तो, इंटरव्यू के नाम पर रुपये ऐंठने के लिए खूबसूरत लड़कियां बैठी मिलती हैं और दरवाजे के बाहर दरबान बनकर हट्टे कट्टे लड़के खड़े मिलते हैं। जो लड़का या लडकी इंटरव्यू लेने वाले से हाजिर जबाबी करता है उसे ये दरबान धक्के मारकर बाहर निकालने का काम करते हैं।
ये ठगी का कारोबार करने वाले वही दूसरे श्रेणी के बेरोजगार युवा होते हैं जिनकी जरुरतें दूसरों को लूटकर, पीड़ा देकर पूरी होती हैं। इस प्रकार एक नौजवान की बेरोजगारी दूसरे नौजवान का रोजगार बन जाता है। इस प्रकार बेरोजगार को एक बेरोजगार नौजवान ही ठग रहा है।

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