1-देश की राजनीति में अखिल भारतीय नेता का स्थान जो लम्बे समय से रिक्त है उस स्थान की भरपाई कन्हैया कुमार कर रहे हैं।
2-कन्हैया देश की बहुतायत आबादी के अधिकारों के लिए लड़ते हैं और समानता की बात मजबूती से निर्भय होकर करते हैं।
3-कन्हैया की भाषा अहंकार रहित और तार्किक है।
4-कन्हैया की राजनीति का आधार सत्य, अहिंसा, प्रेम, त्याग, धैर्य व देश के प्रति समर्पण है। यही राजधर्म है।
5-कन्हैया ऐसा युुवा है जिसका परिवार अभावों में जीता है इसके बावजूद अन्याय के खिलाफ सत्ता के ताकतवर पूंजीपतियों और नेताओं को सीधी चुनौती देता है ।
6-लाभ-हानि का विचार किये बिना दूषित राजनीति के खिलाफ सांप्रदायिक कट्टर ताकतों से लोहा लिया। ऐसी हिम्मत अरविन्द केजरीवाल और ममता बनर्जी के अतिरिक्त किसी और राजनेता ने नहीं दिखाई।
7- कन्हैया संविधान सम्मत लोकतंत्र की बात करता है जिसमें क्षेत्रवाद-भाषावाद, जातिवाद व पूँजीवाद की कोई जगह नहीं है।
8- कन्हैया निष्पक्ष है पर उसकी बात सत्य का पक्ष लेती है। ऐसा गुण राजधर्म पालक की मर्यादा है।
9-एक आर्थिक अभावग्रस्त, राजधर्म का पालन करने वाला युवा पूॅजीपति नेताओं को चुनाव में पछाड़ सकता है। ऐसी घटना वर्तमान समय में गरीबों के लिए किसी संजीवनी से कम न होगा।
10- कन्हैया उन तमाम नौजवानों के लिए उदाहरण बनेगा जो गरीबी और शोषण से तंग आकर मुसीबत में धैर्य खो देते हैं और गुमराह हो जाते हैं।
11- कन्हैया की जीत नई पीढ़ी के युवाओं में राजनीतिक जोश भर देगा। जो भारत को मजबूत करेगा।
12- युवाओं को राजनीतिक भटकाव से बचाने के लिए कन्हैया देश-दुनिया में घूम-घूम कर प्रेम और सौहार्द के साथ रोजी - रोजगार की बात कर रहे हैं।
13-कन्हैया की जीत से तजुर्बेकार बुजुर्ग व्यक्तियों और राजनेताओं ने युवाओं के लिए जो दरवाजे बंद कर रखे है वह टुट जायेंगे।
14- कन्हैया के चुनाव जीतते ही ये मिथक भी टूट जायेगा कि पूंजीपति नेता ही चुनाव लड़ सकते हैं और जीत सकते हैं।
15- गिरीराज सिंह या तनवीर हसन द्वारा चुनाव जीत जाना एक सामान्य घटना होगी जबकि कन्हैया की हार और जीत असामान्य घटना साबित होगी।
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