'असमर्थ सरकार ने दूतावास से कहा था अपने खर्च व जोखिम पर यात्रा करें प्रवासी भारतीय '
प्रदीप कुमार(राष्ट्रीयअध्यक्ष-इंटक) |
नई दिल्ली / लुसाका
कोरोना
संकट के कारण
पूर्वी अफ्रीका के जांम्बिया
में फंसे भारतीय
नागरिकों की आज
सुबह स्वदेश वापसी
हो गयी है।
अंतराष्ट्रीय विमान सेवा बंद
हो जाने के
कारण पिछले दो
महीने से भारतीय
नागरिक जांबिया में फंसे
थे। विदेश से
लौट रहे नागरिकों
ने स्वदेश वापसी
की खुशी में
वंदे मातरम् के
नारे के साथ
इंटक परिवार का
धन्यवाद किया। अपने निजी
खर्चे और जोखिम
पर 250 से अधिक
प्रवासी भारतीयों ने इथोपियन एयरलाइंस के
विमान (ET8862) से
सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर
दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंडिंग
की है।जाम्बिया के
लुसाका स्थित भारतीय दूतावास
के एक अधिकारी
ने इस सम्बंध
में पत्रकार रविकांत
सिंह को जानकारी
दी है। इंडियन
नेशनल ट्रेड यूनियन
कांग्रेस (इंटक) के राष्ट्रीय
अध्यक्ष प्रदीप कुमार ने
सुरक्षित स्वदेश वापसी पर
यात्रियों का अभिनन्दन
किया और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है ।
फरवरी-मार्च महीने में
सैकड़ों भारतीय पूर्वी अफ्रीका
में कारोबार के
लिए निकले थे।
ठीक उसी समय
विश्वव्यपी कोरोना महामारी संकट
खड़ा हो गया।
भारतीय नागरिकों ने लुसाका
स्थित भारतीय दूतावास
से संम्पर्क साधा।
उन्हें बताया गया कि
भारत, अमेरिका, इटली
सहित कई देशों
में लॉक डाउन(तालाबंदी) घोषित कर
दी गई है।
अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को रद्द
कर दिया गया
है। सभी भारतीय
नागरिक अपनी आर्थिक
हैसियत को देखते
हुए विदेशी धरती
पर चिन्तित हो
गये। सभी ने
20 मार्च को लुसाका
दूतावास, विदेश मंत्रालय, वंदे
भारत मिशन के
सभी विदेशी मामलों
से जुड़े विभागों
को प्रार्थना पत्र
दिया। 26 मार्च को जांम्बिया
के दूतावास ने
पत्र के जवाब
में ई-मेल
भेजकर प्रार्थी को
बताया कि ‘‘31 मार्च
तक भारत में
तालाबंदी है। प्रधानमंत्री
की ओर से
कहा गया है
कि विदेशों में
बसे भारतीय नागरिक
मौजूदा हालात में ही
रहें।’’
भारतीय
नागरिक स्वदेश कब वापसी
करेंगे? जब इस
बात का उत्तर
दूतावास और भारत
सरकार साफ-साफ
न बता सका
तो, नागरिक आक्रोशित
हो उठे। भारतीय
नागरिकों ने दूतावास
के सामने प्रदर्शन
किया। कई नागरिकों
ने बहुत कुछ
खो दिया इस
बात का दूतावास
के अधिकारियों से
जिक्र भी किया।
लेकिन अधिकारियों ने
प्रश्न पर सस्पेंश
बनाये रखा और
उनकी सही तरीके
से काउंसलिग नहीं
की। जब भारतीय
नागरिकों का धैर्य
जबाब दे दिया
तो, 29 मई को
कुछ यात्रियों ने
इंटक से सम्पर्क
किया और प्रार्थना
पत्र सहित जरुरी
दस्तावेज सौंपे। नागरिकों ने
कहा कि हम
अपने खर्चे पर
चार्टेड प्लेन से भारत
आना चाहते हैं।
कृपया, भारत सरकार
हमें दिल्ली और
महाराष्ट्र में लैंडिग
की इजाजत दे।
इसके बाद कोविड
सेल के अधिकारियों
और भारतीय दूतावास
से पत्रकार रविकांत
सिंह ने संपर्क
किया। अपने जोखिम
और खर्चे पर
स्वदेश वापसी कर रहे
भारतीयों को काफी
जद्दोजहद के बाद
8 जून से चार्टेड
प्लेन उतारने की
इजाजत मिल गयी।
पूर्व
राज्य सभा सांसद
ब्रह्मदेवानंद पासवान ने इंटक
की ओर से
यात्रियों का अभिनन्दन
किया है। और
उनके सफल सुरक्षित
जीवन की शुभकामनाएं
देते हुए कहा
कि ‘‘अपने नागरिकों
को सुरक्षित लाना
भारत सरकार का
दायित्व है। लेकिन
सरकारी विभागों में सामंजस्य
की कमी के
चलते हमारे नागरिकों
को कष्ट का
सामना करना पड़ता
है।’’
पत्रकार
रविकांत सिंह ने
कहा कि ‘‘हम
किसी भी क्षेत्र
के हों, परदेश
में हो, अमीर
हो या गरीब
हम सभी अखिल
भारतीय नागरिक हैं। एक
दूसरे की समस्याओं
को हल करना
और मदद करना
सभी की जिम्मेदारी
है। प्रत्येक व्यक्ति
की अपनी विशेषता
है। हम सभी
केवल राजनेताओं के
सहारे जीवन का
निर्णय नहीं ले
सकते है। यह
हमें समझना होगा।
नागरिकों के संगठनात्मक
प्रयासों का ही
परिणाम है कि
आज जाम्बिया में
फंसे भारतीय नागरिक
स्वदेश लौटे हैं।’’
इंडियन
नेशनल ट्रेड यूनियन
कांग्रेस (इंटक) के राष्ट्रीय
अध्यक्ष प्रदीप कुमार ने
कहा कि ‘‘कोरोना
संकट में फंसे
लोगों के लिए
अपनी क्षमता के
अनुसार जो, हो
सका हमने वे
सभी प्रयास किये।
इंटक परिवार की
ओर से मैं
भारत सरकार के
सचेत अधिकारियों का
दिल से धन्यवाद
करता हूँ। कोविड
सेल और भारतीय
दूतावास जाम्बिया के अधिकारियों
ने भारतीयता को
समझा और सस्पेंश
को खत्म करते
हुए भारत सरकार
ने 10 जून को
ब्लूबेरी ट्रेवेल कंपनी को
भारत में ईथोपियन
एयरलाइंस के विमान
उतारने की इजाजत
दे दी थी। इस
तरह 250 से अधिक
भारतीयों को एक
धागे में पिरोकर
स्वदेश वापसी कराई गयी
है।’’
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