रविकांत सिंह 'द्रष्टा' |
अपनी मेहनत और कौशल के बल पर विदेशों से लाखों डालर कमाई कर भारत भेजने वाले नागरिकों का अपने देश की सरकारी व्यवस्था ऐसा हाल करेगी उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा।
नई दिल्ली / लुसाका
विदेशों में डंका बजाने वाली मोदी सरकार के विदेश मंत्रालय ने मुसीबत के समय पत्र लिखकर असमर्थता जाहिर कर दी है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के कार्यकाल में विदेशों में फंसे अपने नागरिकों को देश में सुरक्षित एयरलिफ्ट कराने वाली सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में रास्ता भटक गयी है। देश में न केवल रेलवे मंत्रालय के रास्ता भटकने की घटना हुयी है बल्कि समूचा सरकारी तंत्र रास्ता भटक चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशासनिक पकड़ कमजोर हो चुकी है। अब देशवासियों को भी अहसास हो रहा है कि वह अपने मन में प्रधानमंत्री के प्रति गलतफहमी पाल रखे थे। समय बहुत आगे निकल चुका है और देश की लगभग 98 प्रतिशत की आबादी आर्थिक गुलाम बन चुकी है। अवश्य ही पेट की आग उन्हें इस गुलामी से मुक्त होने से रोक रही है।
बहरहाल, ‘द्रष्टा’ सरकारी तंत्र के इस भटकाव पर विस्तार से चर्चा करेगा। इससे पहले उस तथ्य की जानकारी देगा जिसके आधार पर सरकर को निर्णय लेना आवश्यक है। पूर्वी अफ्रीका के ज़ाम्बिया से तीन भारतीयों ने मुझे सामुहिक पत्र के साथ 193 लोगों की सूचि भेजी है। सूचि में भारतीयों के नाम व पासपोर्ट संख्या दर्ज है। पत्र भारत सरकार व इंटक के नाम है। पत्र भेजने वाले ने संदीप जायसवाल ने बताया है कि लगभग 250 भारतीय ज़ाम्बिया में फंसे हैं। हम सभी स्वदेश वापस लौटना चाहते हैं। ज़ाम्बिया के लुसाका स्थित भारतीय दूतावास हमारी मदद नहीं कर रहा है।
संदीप जायसवाल |
भारत में रह रहे अन्य प्रवासी भारतीयों के परिजनों व दोस्तों ने भी अपनी ओर से विदेश मंत्रालय को पत्र भेजा है । अभय जायसवाल ने 7 मई को मेल द्वारा मंत्रालय से पूछा है कि ‘‘मंत्रालय को डाटा शीट (वापसी के लिए यात्रियों के नाम व पासपोर्ट की जानकारी) दिये एक सप्ताह हो गया है। हम भारतीय दूतावास से संपर्क कर रहे हैं, मेल भेज रहे हैं, फॉलोअप ले रहे हैं लेकिन कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं की जा रही है। उनके भारत वापसी के संम्बंध में कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। अब हम सभी अपना धैर्य खो रहे हैं।
मंत्रालय के संवेदनहीनता पर अभय जायसवाल ने विदेश मंत्रालय से पूछा है कि ‘‘क्या आप समझते हैं कि अब हम किस तरह के आघात का सामना कर रहे हैं? क्या आपके पास कोई विचार है कि हम अपने वित्त का प्रबंधन कैसे कर रहे हैं? दूतावास अपने देश के लोगों की मदद के लिए बनाया गया है, लेकिन ऐसा लगता है कि कोई भी मदद करने के लिए इच्छुक नहीं है।
इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप कुमार ने कहा कि मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स के अधिकारी जांबिया में फंसे नागरिकों को लाने में असमर्थता जाहिर कर रहे हैं लेकिन विदेश मंत्रालय के उच्च अधिकारियों से हम लोग उम्मीद लगाए हैं। हमारी टीम को आश्वासन मिल रहा है कि जल्द ही जांबिया में फंसे नागरिकों को वापस भारत बुलाया जा सकता है। अपने देश के नागरिकों को सुरक्षित लाना केवल सरकार की नहीं बल्कि हमारी भी जिम्मेदारी है। हम लगातार विदेश में फंसे प्रवासी भारतीयों और देश के मजदूरों को उनके घर भेजने का प्रयास कर रहे है।
प्रदीप कुमार(राष्ट्रीय अध्यक्ष-इंटक) |
नागपुर के हरीश शाह और हरियाणा में रहने वाले हैप्पी चौहान ने बताया कि ज़ाम्बिया में फंसे साथियों की वापसी का कोई सकारात्मक जबाब भारत सरकार नहीं दे पा रही है। 27 अप्रैल को लुसाका दूतावास पर साथियों ने धरना भी दिया है। कुछ प्रवासी भारतीयों की वीजा अवधि भी समाप्त हो रही है। भारतीय दूतावास की उदासीनता उनके र्धर्य को तोड़ रही है। विदेशी धरती पर अनहोनी होने की आशंका से उनके परिवार वाले भयभीत हैं।
‘द्रष्टा’ ने जब इस बाबत मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर से जानकारी चाही तो, उन्होंने कहा कि दूतावास अपने देश के लोगों के सहयोग के लिए बना है। आप हमें शिकायती पत्र भेज दिजिए। 27 अप्रैल ‘द्रष्टा’ने उसी पत्र को दोबारा jsafr@mea.gov.in, fsoffice@mea.gov.in मेल आईडी पर भेजा और फोन पर संम्पर्क किया। बातचीत में मंत्रालय ने कहा कि उन्हें यहां बुलाने की व्यवस्था में यहां भारी कमी है। हम अपनी तैयारी कर रहे हैं तब तक के लिए फंसे लोग धैर्य बनाये रखें। अब विदेश में फंसे साथी कितने दिन धैर्य बनाकर रहेंगे यह स्पष्ट नहीं किया है।
इससे पहले 14 मई को मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर मुसीबत में फंसे साथियों से सहयोग और समझ के लिए आभार व्यक्त करते हुए धैर्य बनाये रखने के लिए कहा है। इस प्रकार देश के नागरिकों को मंत्रालय ने मेल आईडी covid19@mea.gov.in द्वारा संदेश भेजकर असमर्थता जाहिर करते हुए दूतावास के संपर्क में रहने की सलाह दी थी। अपनी मेहनत और कौशल के बल पर विदेशों से लाखों डालर कमाई कर भारत भेजने वाले नागरिकों का अपने देश की सरकारी व्यवस्था ऐसा हाल करेगी उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा। खैर उन्हें देश के हालात के बारे में शायद अधिक जानकारी नहीं होगी। जब उन्हें पता चलेगा कि उनकी गाढ़ी कमाई के टैक्स पर ऐश करने वाले नेताओं और अधिकारियों ने आधारभूत आवश्यकताओं के लिए बनी व्यवस्था को भी ध्वस्त कर रखा है तो, उन्हें बड़ा अफसोस होगा। और यह सोचकर वे अपना गम भूल जायेंगे।
Thank you for the blog.
ReplyDeleteHope this brings some light to the scenario and we hear good news.
I want my uncle, relatives and other fellow Indians back in India safe and sound. Kindly share the blog to reach the head authority to shake them to take appropriate steps asap.
Our fingers are crossed.
Indian Government is expected to act early. People stucked in Zambia have also arranged a private plane, Indian Government is only required to issue a clearance for Landing the Plane in India. As such, we request Indian Government to act on priority.
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