Monday, 14 August 2017

विकास से विनाश की ओर ले जा रही है संवेदनहीनता

रविकांत सिंह 'द्रष्टा' 
                                
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में एक ही दिन में 30 से अधिक बच्चों की मौत हो जाती है। जिलाधिकारी मौत कारण अस्पताल में आक्सीजन सिलेंडर का न होना बताते हैं। पहले स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और बाद में मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ इस बात को नकारते हैं और विपक्षी दलों को बच्चों की मौत पर राजनीति न करने की बात कहते हैं। 

इलाहाबाद के एक भोज कार्यक्रम से आते हैं और प्रेसवार्ता में पत्रकारों पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाते हुए कहते हैं हम आप से ज्यादा दुखी हैं। परन्तु मुख्यमंत्री जी आपके राजनीतिक नाटकीय दुख से हम पत्रकार दुखी नहीं हो सकते है।
मृत बच्चों के परिजनों के हृदय में आप लोगों के संवेदनहीन बयानों से आग धधकती है और उनसे हिम्मत हो तो कहिए कि आप हमें अपने बद्दुआ की आग में मत जलाइए, हमें देश का विकास करना है, हमारी नफरत वाली राजनीति का विनाश मत करिये।
कहावत है कि पूत के पांव पालने में ही दिखाई दे देता है कि इसके लक्षण क्या होंगे। जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री की पहली प्राथमिकता थी प्रेमी युगल को हवालात का रास्ता दिखाना। जो प्रदेश स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार जैसी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा हो वहां ‘एंटी रोमियो स्क्वायड’ बनाने की प्राथमिकता वाली सरकार से भला विकास की क्या अपेक्षा की जा सकती है ? हिन्दू धर्म में प्रेम का स्थान सर्वोच्च है, प्रेमी संवेदनहीन नहीं होता है। यदि व्यक्ति संवेदनशील है तो वह एक दूसरे का सहयोग कर व पाकर दे
 को विकास के रास्ते पर ले ही जाता है। परन्तु बच्चों की जान बचाने के लिए प्रयास करने वाले डाक्टर कफील को निलंबित कर सरकार सत्य से असत्य, प्रकाश से अंधकार और विकास से विनाश की ओर जा रही है।
प्रेम को भूलाकर थानों को भव्यता के साथ श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने का आदेश दिया जाता है। खुद को हिन्दुओं का नेता कहने वाले हिन्दुत्व ही भूल गये हैं वे हिन्दु होने का दिखावा तो करते हैं पर कृष्ण के मार्ग पर चलना नहीं चाहते हैं। श्री कृष्ण के जन्म से पहले भी अत्याचारी कंस ने नवजात शिशुओं की हत्या की थी और परिणाम आप सभी जानते हैं। यही हश्र राजनीति में सभी असत्यमार्गी, धर्मांध लोगों का भी होना तय है।

असतो मा सद गमय।
तमसो मा ज्योर्तिगमय।।
हिन्दु परिवार में चरित्र निर्माण के लिए जब बालक को उसके माता-पिता या गुरु संस्कार देते हैं तो इस संस्कृत के वाक्य को बोलते हुए बताते है कि हे सर्वव्यापी ईश्वर आप हमें असत्य से सत्यमार्ग पर ले चलिए, हमें अंधकार से प्रकाश के मार्ग पर ले चलिए। जो बालक इसे जीवन मंत्र बना लेता है उसका चरित्र निर्माण उत्तम होता है और उसका जीवन सुरक्षित रहता है। जो इस मंत्र को भूल जाता है वह असुरक्षित अनुभव करता है और भय व भ्रम में उलझकर उसका जीवन दुखों से भर जाता है। भयभीत व्यक्ति पूरे मानव समाज को दुख देने लगता है।
इस समय हिन्दुस्तान में देशभक्त-देशद्रोही, हिन्दु-अहिन्दु, की तेजी से पहचान व छटनी की जा रही है। जिन लोगों में अराजकता का तत्व है हिन्दुओं का तत्व तनिक भी नहीं, वे अपने आप को हिन्दुओं का नायक कह कर सत्ता पा गये हैं। यही नहीं कोई हिन्दु है या अहिन्दु, देशद्रोही है या देशभक्त इसका प्रमाण भी इन्हीं से लेना होगा ऐसा इनके नेता प्रपंच रचने लगे हैं। यह सब हो रहा है, सत्ता पाने के लालच और सत्ता जाने के भय के कारण अर्थात् इसी भय के कारण ये नेता ईष्र्या, द्वेष से भरे भाषणों,नीतियों से देशवासियों के मन में भ्रम और भय पैदा कर उनके मन, विचार को दुषित कर रहे हैं ताकि नागरिक संवेदनहीन हो जाये और वोट देने के अतिरिक्त एक दूसरे के काम न आ सकें।


गोरखपुर अस्पताल में हो रही शिशुओं की अकाल मृत्यु इसी संवेदनहीनता का परिणाम है। सत्ता पर काबिज नेता और जिम्मेदार प्रशासन शिशुओ की सामुहिक हत्या के पाप से मुक्त नहीं हो सकते है। इन्हीं संवेदनहीन लोगों के बीच में रहने वाला एक डाक्टर कफील खान ने अपनी संवेदनशीलता का परिचय भी दिया है। इस व्यक्ति ने हिन्दुस्तानी होने, अपने पेशे की और अपने नाम की लाज रखी है। जब हम लोग प्राथमिक विद्यालय में प्रार्थना सभा के बाद देश के लिए कस्में खाते थे कि‘देश की रक्षा कैसे करोगे’ तो हम सभी कहते थे ‘तन से करेंगे,मन से करेंगे, धन से करेंगे’। इस डाक्टर ने अपनी देश व पेशे के लिए खाई कसमों को तन, मन, धन लगाकर पूरा किया है। इस समय जहां देश में नेता नफरत फैला रहे है और कुछ फर्जी हिन्दुत्व का घ्वजनायक बता रहे हैं। ऐसे में डाक्टर कफील मानवीय धर्म का ध्वज धारण कर असत्य मार्ग से सत्य के मार्ग पर चलने की और असतो मा सद् गमयः को जीवन मंत्र बना लेने की मानवों को प्रेरणा दे रहे हैं।
मध्य प्रदेश का जानामाना व्यापम घोटाला भी कई युवकों की जान ले चुका है। इस घोटाले की रिपोर्टिंग करने वाले एक टीवी पत्रकार की जान चली गयी और मौत के कारणों की जांच अभी तक चल रही है। सीमा पार से हुये हमलों में व देश के भीतर हुए नक्सली हमलों से अब तक कई जवानों की जान जा चुकी है। अन्तरराष्ट्रीय मंच हो या चाय पर चर्चा देश के विकास पर अब तक के सभी नेताओं से ज्यादा बोलने वाले प्रधान मंत्री अपनी सरकार द्वारा किये गये घोटालों पर चुप्पी साध लेते है। देश के लोग यह बात नहीं समझ पाते है कि प्रधान मंत्री मोदी पहले ही स्वयं को व्यापारी व चैकीदार कह चुके है जब तक इनके व्यापार में स्वयं का नुकसान न हो, तब तक ये संवेदनहीन बने रहते हैं। इसी वजह से बात विकास की करते है और परिणाम लोगों के विनाश का मिलता है।  


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