विधान सभा चुनाव 2022 : प्रश्न-1
रविकांत सिंह 'द्रष्टा' |
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया। इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने आजादी के 100 साल पूरे होने तक एक नया भारत तैयार करने का लक्ष्य रखा है। ऑक्सफेम की रिपोर्ट "इनइक्वलिटी किल्स’’ आ चुकी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में लगभग 84% परिवारों की आय घटी है वहीं अरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई है। ऑक्सफेम ने बताया है कि सबसे अमीर 100 परिवारों की संपत्ति में वृद्धि का लगभग पांचवां हिस्सा एक दिग्गज बिजनेसमैन यानी कि अदानी के बिजनेस में था।
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"इंडिया इनइक्क्वेलिटी रिपोर्ट 2021: इंडियाज अनइक्वल हेल्थकेयर स्टोरी" रिपोर्ट में स्पष्ट है कि देश के स्वास्थ्य बजट 2020-21 के संशोधित अनुमान से 10% की गिरावट देखी गई । यानि जब देश कोरोना महामारी से जुझ रहा था स्वास्थ्य सेवा प्रणाली चरमरा चुकी थी और शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी 15 फीसदी पहुंच गयी तब ऐसे समय में अरबपतियों दिन दुगनी रात चौगुनी सम्पत्ति बढ़ रही थी। वहीं दूसरी ओर सरकार कोरोना नियमों की अवहेलना करने वाली बदहवास पीड़ित जनता से धन ऐंठ कर जनआक्रोश को दबा रही थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के दौरान (मार्च 2020 से 30 नवंबर, 2021 तक) भारतीय अरबपतियों की संपत्ति 23.14 लाख करोड़ रुपये (313 अरब डॉलर) से बढ़कर 53.16 लाख करोड़ रुपये (719 अरब डॉलर) हो गई है। इस बीच, 2020 में 4.6 करोड़ से अधिक भारतीयों अत्यधिक गरीबी रेखा के अंदर आए हैं।
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ऑक्सफेम की रिपोर्ट में कहा गया है कि शिक्षा के लिए आवंटन में 6% की कटौती की गई, जबकि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए बजटीय आवंटन कुल केंद्रीय बजट के 1.5% से घटकर 0.6% हो गया। यह रिपोर्ट देश में स्वास्थ्य असमानता के स्तर को मापने के लिये विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूहों में स्वास्थ्य परिणामों का व्यापक विश्लेषण प्रदान करती है। विभिन्न समूहों का प्रदर्शन: सामान्य वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की तुलना में, हिंदू, मुसलमानों से, अमीर का प्रदर्शन गरीबों की तुलना में, पुरुष, महिलाओं की तुलना में तथा शहरी आबादी, ग्रामीण आबादी की तुलना में विभिन्न स्वास्थ्य संकेतकों पर बेहतर है। कोविड-19 महामारी ने इन असमानताओं को और बढ़ा दिया है।
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समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए गए एक इंटरव्यू में मशहूर अर्थशास्त्री और पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने बेबाकी से अपने विचार रखते हुए कहा कि सरकार को कोरोना वायरस महामारी की मार झेल रही अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ी चिंता मध्यम वर्ग, छोटे और मझोले क्षेत्र और बच्चों को लेकर है। इंटरव्यू में रघुराम राजन ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ चमकीले तो कई काले धब्बे हैं. यहाँ 'चमकीले धब्बे' से राजन का मतलब ऐसे बड़े फर्मों से है जो तेजी से प्रगति कर रहे हैं। आईटी और आईटी से जुड़े क्षेत्र भी अच्छा कर रहे हैं। कई क्षेत्रों में यूनिकॉर्न कंपनियाँ सामने आईं हैं और वित्तीय क्षेत्रों को इससे ताकत मिली है। वहीं दूसरी तरफ 'काले धब्बे' से राजन का मतलब बढ़ती बेरोजगारी और कम खरीद शक्ति से है। निम्न मध्यम वर्ग में ये ज्यादा बड़ी चिंता है। साथ ही जो छोटे और मझोले फर्म हैं उन्हें जिस तरीके का आर्थिक दबाव झेलना पड़ रहा है इसे भी राजन ने ''काले धब्बे'' के तौर पर बताया है।
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‘द्रष्टा’ की नजर में आकड़े का मतलब तकनिकी भाषा में काल्पनिक झूठी बाते है। एग्जिट पोल के आंकड़े जैसी काल्पनिक झूठी सामग्री नागरिकों को भ्रमित करने में कामयाब होती रही है। एग्जिट पोल एक माइंडवॉश गेम है जो, लोकतंत्र के लिए घातक है। भविष्य देखने की बातें करना और इन मनगढंत झूठी बातों पर रात-दिन चर्चा करना भला किस प्रकार मतदाता के सतित्व को बचा सकता है? यह एक गंभीर प्रश्न है। सकारात्मक सोच (पॉजीटिव थिंकींग) रचनात्मकता (क्रिएटीविटी) के लिए अनिवार्य है परन्तु, जो झूठ परोसा जा चुका है उसे सकारात्मक सोच (पॉजीटिव थिंकींग) से बदला नहीं जा सकता है। इस सत्य को मानने से ही रचनात्मक सोच पैदा होगी।
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बड़ी -बड़ी गाड़ियों में घूमने वाले राजनेताओं के लिए यह विषय चिन्ताजनक नहीं है, अपने चहुंओर सुख ही सुख देख रहे हैं और मीडिया और जनता को सकारात्मक विचारों का चश्मा लगाने की बात कह रहे हैं। अपने जुमलेबाजी के लिए प्रसिद्ध प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भगवान राम का सहारा छोड़ नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के सहारे नया भारत बनाने की बात कह रहे है। इंडिया गेट से अमर जवान ज्योति को बुझाकर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मूर्ति का अनावरण करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने आजादी के 100 साल पूरे होने तक एक नया भारत तैयार करने का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल 2014 से लेकर 2022 तक देश में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक असमानता की खाईं दिन-प्रतिदिन गहरी होती जा रही है। क्या प्रधानमंत्री नये भारत में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक असमानताओं के साथ नया भारत बनाना चाहते हैं? इस प्रश्न का उत्तर जनता से दूर रहने वाले प्रधानमंत्री मोदी को देना चाहिए। फिलहाल ‘द्रष्टा’ की नजर विधान सभा चुनाव 2022 पर लगी है। और ‘द्रष्टा’ इस प्रश्न का उत्तर जानना चाहता है कि अबकी बार ‘क्या जनसमस्याओं को दरकिनार कर नेताओं का चुनाव करेगी जनता’?क्रमश: जारी है.....
..............(व्याकरण की त्रुटि के लिए द्रष्टा क्षमाप्रार्थी है )
drashtainfo@gmail.com
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