Friday, 29 January 2021

किसानों का स्वर्ग में धरना, देवराज को हटाने की मांग

 

रविकांत सिंह 'द्रष्टा' 
स्वर्ग की सैर -7

अमीर-गरीब का भेदभाव इन सुविधाभोगी मंत्रियों में मरने के बाद भी विद्यमान है। किसानों के पसीने से इन हरामखोर मंत्रियों को बदबू आती है। ये मंत्री धरती से स्वर्ग में आने वाले दरवाजे को किसानों के लिए बंद कर दिये हैं। जीते जी किसान, धरती के भोग -विलास में डूबे नागरिकों की समस्या हैं और मरने के बाद स्वर्गवासियों की समस्या बन रहे हैं।


...आध्यात्मिक व्यक्ति इस जगत को नश्वर और काल्पनिक मानता है। कल्पनाएं ही उसकी उम्मीदें हैं और उम्मीदों के सहारे ही वह कभी-कभी नश्वर हकीकत से रुबरु हो पाता है। मैं विचारों के प्रवाह में तैर रहा था तभी दो देवदूत देवराज का संदेशा लेकर प्रकट हुए। एक ने कहा कि आप को स्वर्ग की सभा में उपस्थित होने के लिए देवराज ने आदेश दिया है। मैं अपनी कल्पनाओं को हकीकत का रुप दे पाता इससे पहले दूत स्वर्ग में जल्द चलने की बात दोहराने लगे। मैंने दूतों से छण भर रुकने को कहा परन्तु, दूतों ने अपने मन की बात की और दोनों दूतों ने मेरा हाथ पकड़कर स्वर्ग में खड़ा कर दिया....

स्वर्ग में देवराज सहित सभी देवता पहले से ही उपस्थित थे। देवता मुंह लटकाए अपने-अपने आसनों से बंधे थे। गुरु वृहस्पति भी चिन्ता के सागर में गोते लगाते दिखाई पड़ रहे थे। मैं भी अपनी पुरानी टुटी हई कुर्सी पर बैठ गया। मुझे देखते ही देवताओं ने घूरना शुरु कर दिया। देवताओं का तेवर मेरे मन में घबराहट पैदा कर सकती थी लेकिन धरती पर सत्ताधीशों के तेवर की तुलना में मुझे देवताओं का तेवर फिका लग रहा था। मैं कारण समझ रहा था। स्वभावत: द्रष्टा के तौर पर मैं निर्भय हूँ।  

(डैसिंग देवराज और ब्यूटिफूल इंद्राणी का आगमन हुआ। देवराज ने मेरी ओर अपनी नजरें घूमाई और पूछा)

देवराज- कब खत्म होगा ए किसान आन्दोलन? तुम्हारी सरकार निर्णय क्यों नहीं ले पा रही है?

द्रष्टा- देवराज मैं आपके प्रश्नों का जबाब दे दूँगा लेकिन आपको बताना होगा कि ‘‘किसान आन्दोलन से आपका क्या सरोकार है’’?

देवराज- ‘प्रश्न’ का उत्तर ‘प्रश्न’ नहीं होता द्रष्टा। आप मेरे प्रश्नों का सीधा उत्तर दें। 

द्रष्टा-  मैंने कहा न कि ‘‘पहले आपको बताना होगा कि किसान आन्दोलन से आपका क्या सरोकार है।

देवराज-(मुंह बनाते हुए) मेरे स्वर्ग में भी किसान आन्दोलन गति पकड़ रहा है। देवराज मुर्दाबाद के नारे लग रहे हैं। भारतवर्ष की सरकार पर फर्क पड़े या न पड़े परन्तु, मेरी सरकार पर तो फर्क पड़ने लगा है।

द्रष्टा-  वो कैसे?

देवराज- स्वर्ग में अन्नदाताओं की संख्या बढ़ती जा रही है। एक से बढ़कर एक किसान नेता पहले से ही स्वर्ग में अड़ी जमाए बैठे हैं। स्वामी सहजानन्द सरस्वती और सबके प्रिय बापू स्वर्गवासियों को स्वच्छता और चरखे से सूत काटना सिखा रहे हैं। भगत सिंह अपने साथियों के साथ इंकलाब के नारे लगा रहे हैं। सुभाष नेता जी अभी भी 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा' की रट लगा रहे हैं। यही नहीं चन्द्रशेखर आजाद मुझे गोली मारने पर आमादा हैं। स्वर्ग में अचानक इन क्रान्तिकारियों का यह तेवर देखकर सभी स्वर्ग के देवता दहशत में हैं।  

इंद्राणी- हां द्रष्टा, देवराज जी को अपनी कुर्सी और जान जाने का डर सता रहा है। 

देवगुरु वृहस्पति-इसीलिए, मैंने स्वर्ग में प्रेस कांन्फ्रैस बुलाई है। 

द्रष्टा - तो यह बात है, देवराज ने कुर्सी और जान जाने के भय के कारण ये प्रेस कांफ्रेंस बुलाई है। तो, देवराज पृथ्वीवासियों की तरह आप भी द्रष्टा के साथ बेवजह का सवाल करने लगे हैं। आपको केवल अपनी समस्या बतानी चाहिए न कि सवाल करना चाहिए। सवाल करना मेरा काम है। आप भी मीडिया को अपने कब्जे में लेने की सोच रहे हैं क्या?

इंद्राणी- (देवराज के भय का भेद खोलते हुए)वो क्या है न द्रष्टा, धरती पर गंदी राजनीति करने वाले कुछ सत्ताधीशों ने स्वर्ग में सीट रिजर्ब कराने के लिए प्रभु से संपर्क किया था। बगैर लेनदेन के स्वर्ग में भी सुनवाई नहीं होती है। और बद्दिमाग सत्ताधीश धरती की मुद्रा स्वर्ग में ला भी नहीं सकते। तो, प्रभु ने प्रपंची राजनेताओं से सत्ता में बने रहने का गुरुमंत्र सीखने का सौदा कर लिया। अब इन्हीं प्रपंची ढोंगी सत्ताधीशों और अपने सहयोगी प्रशासनिक अधिकारियों के बल पर सत्ता बचाना चाहते हैं। 

द्रष्टा- मंत्री परिषद् क्या कर रही है। मंत्री देवराज का विरोध क्यों नहीं कर  रहे हैं?

(नारायण...नारायण ब्रह्मर्षि नारद जी स्वर्ग में प्रकट हुए। देवता अपने आसनों को छोड़ खड़े हो गये और नारद जी का स्वागत किया। मैं हैरान था कि स्वर्ग में अभी भी पत्रकारों का सम्मान बरकरार है। हमारे यहां तो सत्ताधीश और वैमनस्यता के भाव में डूबी जनता दोनों पक्ष पत्रकारों को आतंकवादी, भड़वा और संस्थानों को गोदी मीडिया बोलती है। मैं भी अपने वरिष्ठ साथी नारद जी को प्रणाम किया और अपने आसन पर बैठ गया।)

नारद- किसान स्वर्ग में आने वाले रास्ते को घेर क्यों बैठे हैं देवराज? उनकी सुनवाई क्यों नहीं हो रही है?

देवराज को घूस देकर स्वर्ग में आए एक उचक्का मंत्री उचक-उचक के नारद को जबाब देने के लिए लालायित हो रहा था। 

मंत्री- आल देज आर फेक फार्मरस्? दे आर टेररिस्ट।  इट इज डीसोल्वींग द पीस आॅफ अवर सीटीस् पीपूल। 

द्रष्टा- मंत्री जी, आप कह रहे हैं कि ये सभी नकली किसान और आतंकवादी हैं और आपके शहर की शान्ति भंग कर रहे हैं।  आप आन्दोलनकारियों के खिलाफ ऐसी वाहियात बात किस आधार पर कह रहे हैं। 

दूसरा मंत्री- लगता है द्रष्टा, ‘‘आप न्यूज चैनल नहीं देख रहे हैं। आपकी जानकारी में बता दूं कि ये ब्रांडेड जींस कपड़े पहनते है और महंगी गाड़ियॉं और सुख सुविधाओं का अम्बार है। आप ही बताओं भला किसान गरीब कैसे है’’?

द्रष्टा - मंत्री जी, आप धरती से स्वर्ग में भी आकर नहीं सुधरे। गधे तब भी थे और अब भी हो। 

(मेरा जबाब सूनकर स्वर्ग सभा में उपस्थित हरामखोर मंत्री आग बबूला हो गया और बोला,‘‘ये क्या बदतमीजी है’’?

वृहस्पति- ‘‘शांत हो जाइए मंत्री महोदय, शांत... द्रष्टा क्रिया और प्रतिक्रया को केवल अभिव्यक्त करता है। ‘एकोद्रष्टासि सर्वस्य’.... इसलिए आप सभी द्रष्टा को सूनों’’।


द्रष्टा- स्वर्ग की सभा को मालूम होना चाहिए कि आन्दोलन करने वाले पेशे से किसान और मजदूर हो सकते हैं लेकिन भिखारी नहीं हो सकते हैं। सबकी अपनी मेहनत की कमाई है वह अपना शौक पूरा कर सकते हैं। किसानों के ठाट- बाट से आपको ईर्ष्या नहीं होनी चाहिए। वे भ्रष्ट अफसरशाही और उनके द्वारा बनाये गये कृषि कानून को लेकर अपने भविष्य से चिन्तित है। इसलिए कृषि बिल 2020 को खत्म करने की बात कर रहे हैं। बस, केवल इतनी ही बात है। और हां मंत्री परिषद् के लोग बताइए कि ऐसा कौन सा काम आप करते हैं कि आपके खजाने की दिन दुगनी रात चौगुनी बढ़ोत्तरी होती है।

नारद- द्रष्टा सही कह रहा है देवराज, इन मंत्री साहब के दोस्त मंत्री भी जो कल तक किसानों को खलिस्तानी आतंकी और न जाने क्या-क्या बकवास कर रहे थे। मैंने देखा कि इन्हीं किसानों के लंगर में ये मंत्री लोग प्लेट चाट रहे थे।

द्रष्टा- देवराज, किसानों की मांग पूरी हो या न हो। मंत्रियों के इस करतूत को थूक के चाटना कहते हैं। देवराज इन मंत्रियों और नौकरशाहों के प्रपंच में 65 दिनों से धरनारत 160 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है और अब वे सभी एक-एक कर स्वर्ग के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। अमीर-गरीब का भेदभाव इन सुविधाभोगी मंत्रियों में मरने के बाद भी विद्यमान है। किसानों के पसीने से इन हरामखोर मंत्रियों को बदबू आती है। ये मंत्री धरती से स्वर्ग में आने वाले दरवाजे को किसानों के लिए बंद कर दिये हैं। जीते जी किसान, धरती के भोग -विलास में डूबे नागरिकों की समस्या हैं और मरने के बाद स्वर्गवासियों की समस्या बन रहे हैं।

देवराज दरअसल, यही आप की भी समस्या है। आप चाहते हैं कि धरती पर जो आन्दोलन हो रहा है उसमें किसान न मरे, नहीं तो धर्मयुद्ध में मरने की वजह से किसानों को सीधा स्वर्ग में जगह प्राप्त होगा। किसानों के साथ न्याय कैसे और कब होगा? वे अपने अस्तित्व की रक्षा कर पायेंगे कि नहीं? यह प्रश्न न पूछकर आप किसान आन्दोलन खत्म कब होगा? यह पूछ रहे हैंं। 

इंद्राणी- सही पकड़े हैं। इन्होंने असली-नकली किसान परखने के चक्कर में घनघोर बारिश कर दी थी। कुछ किसान स्वर्ग में शहीद होकर और आ गये हैं। किसानों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। 

द्रष्टा- देवराज, अब किसान और सरकार के बीच रण भीषण होगा। सत्ताधीशों के चक्रव्यूह में किसान नेता फंस चुके हैं। किसान आन्दोलन अपने चरम पर है। किसानों ने लठ्ठ गाड़ दी है। देखा जाय तो, किसानों को झूकाना सरकार के बलबूते का नहीं हैं। सभा को मैं बताना चाहता हॅूं कि यह नौबत स्वर्ग में आये इससे पहले देवराज को मेरी सलाह है कि ‘‘वे चापलूसी पसंद और प्रपंची मंत्रियों को पदमुक्त कर दें। किसानों को हृदय से स्वीकार करें।’’ 

(सभा में देवगण और गुरु वृहस्पति देवराज को समझाने में लग गये और मैंने स्वर्ग सभा को प्रणाम किया और अपने घर लौट आया।)

...............(व्याकरण की त्रुटिपूर्ण दोष के लिए द्रष्टा क्षमाप्रार्थी है )

drashtainfo@gmail.com

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